Feb 14, 2025

जाने कन्यादान का सही अर्थ एवं वास्तविक महत्व क्या है।



*कन्यादान का वास्तविक अर्थ*
कन्यादान एक पवित्र और महत्वपूर्ण हिंदू विवाह संस्कार है, जिसमें पिता अपनी पुत्री को वर के हाथों में सौंपते हैं। यह संस्कार विवाह के दौरान किया जाता है, जब पिता अपनी पुत्री को वर के साथ बैठाकर, उनके हाथों में हाथ देकर, और एक पवित्र मंत्र का उच्चारण करके कन्यादान करते हैं। यह एक भावनात्मक और आध्यात्मिक क्षण होता है, जिसमें पिता अपनी पुत्री के भविष्य की जिम्मेदारी वर को सौंपते हैं, जो कन्यादान के माध्यम से अब उसकी पत्नी बन जाती है।  कन्यादान से वर और वधू के बीच एक पवित्र और आध्यात्मिक संबंध स्थापित होता है। साथ ही  कन्यादान से दो परिवारों के बीच एक पवित्र और स्थायी संबंध स्थापित होता है। कन्यादान से समाज में स्थिरता और सामाजिक संरचना को बनाए रखने में मदद मिलती है।

महर्षि पतंजलि द्वारा निर्मित योग सूत्र (The Yog Sutras of Maharishi Patanjali) With Hindi& English

 महर्षि पतंजलि द्वारा निर्मित योगसूत्र

THE YOG SUTRAS OF MAHARISHI PATANJALI


समाधि पद SMADHI PADA


1.1 अथ योगानुसास्नम् 

अब मैं योग को विस्तार से कहता हूँ

 Now Yoga Is Explained 


1.2 योगश्चित्त वृत्ति निरोधः 

चित्त की वृत्तियो को शांत करना ही योग है

 Yoga Is Ceasing Of Properties Of Being (The "Chitt"). (Yoga Is the Union Surpassing the (Properties of Being)) 

व्याख्या

पतंजलि के योग सूत्र 1.2 के मुताबिक, चित्त की वृत्तियों को शांत करना ही योग है. इसका मतलब है कि मन को इधर-उधर भटकने न देना और केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना ही योग है. 

इस सूत्र का मतलब है:

मन के परिवर्तन या उतार-चढ़ाव को शांत करना या नियंत्रित करना ही योग है. अगर आप मन की गतिविधियों और परिवर्तनों को शांत कर सकते हैं, तो आप योग में हैं. 

मन की चंचलता या गतिविधियों को स्थिर कर सकते हैं, तो आप योग को प्राप्त कर सकते हैं. योग केवल शारीरिक मुद्राओं के बारे में नहीं है, यह मन को शांत करने का एक अभ्यास है. 

Jan 6, 2025

शिव चालीसा (Shiva Chalisa)

शिव चालीसा (Shiva Chalisa)



।। दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

Religious World - मृत्यु से डरना क्यों?

मृत्यु से डरना क्यों?

मृत्यु के बारे में समाज में कई तरह की धारणाएँ प्रचलित हैं। लेकिन जीवन और मृत्यु का असली स्वरूप क्या है? इस पर प्राचीन आचार्यों ने काफी कुछ लिखा है। आत्मा को शाश्वत माना गया है, जबकि शरीर को अस्थायी कहा गया है। आत्मा और पंच भौतिक शरीर का मिलन ही जीवन है, और इनका अलगाव मृत्यु कहलाता है। यदि हम मृत्यु के परिणाम पर विचार करें, तो यह सुखद प्रतीत होती है। जीवन और मृत्यु एक दिन और रात की तरह हैं; सभी जानते हैं कि दिन काम करने के लिए है और रात आराम करने के लिए। मनुष्य दिन में कार्य करता है, जिससे उसकी अंतःकरण, मन, बुद्धि और बाह्य इंद्रियाँ जैसे आँख, नाक, हाथ, पैर आदि थक जाते हैं। जब ये सभी थक जाते हैं, तब रात्रि आती है। दिन में जब मनुष्य की सभी इंद्रियाँ सक्रिय थीं, अब रात में उन्हें विश्राम की आवश्यकता होती है।

Jan 5, 2025

आध्यात्मिकता के ज्ञान से जाने रोग तथा व्याधि का मनोवैज्ञानिक पहलू


आध्यात्मिकता के ज्ञान से जाने रोग तथा व्याधि का मनोवैज्ञानिक पहलू

मनुष्य का मन जगत नियन्ता का एक अद्भुत आश्चर्य है, वही समस्त जड़ चेतन का कारण भूत है तथा मानव जीवन के समग्र पहलू प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से ही उसी एक केन्द्र के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहे हैं। मनुष्य का अस्तित्व मानसिक संघर्ष से हुआ है, उसके विचारों ने उसका पंच भौतिक शरीर विनिर्मित किया है। अपनी मानसिक अवस्था के कारण प्रत्येक व्यक्ति अपनी बेड़ियाँ दृढ़ करता है तथा अज्ञान तिमिर में आच्छन्न हो ठोकरें खाता फिरता है।

Jan 1, 2025

संकट मोचन हनुमान अष्टक (Sankat Mochan Hanuman Ashtak) (Hindi / English with Meaning)

संकटमोचन हनुमानाष्टक

संकट मोचन हनुमान अष्टक, जिसे हनुमान अष्टक के नाम से भी जाना जाता है, श्री हनुमान को समर्पित एक हिंदी भजन है। संकट मोचन हनुमान अष्टकम (संकट मोचन नाम तिहारो) तुलसीदास द्वारा लिखा गया था। अष्टक, या अष्टकम, का शाब्दिक अर्थ है आठ और प्रार्थना में भगवान हनुमान की स्तुति में आठ छंद होते हैं और भजन एक दोहा के साथ समाप्त होता है। अधिकांशतः हनुमानजी के मंदिरों में, हनुमान चालीसा के बाद इस संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ किया जाता है। यह मंत्र न केवल इसे बोलने वाले लोगों को लाभ पहुंचाता है, बल्कि उसके परिवार के सदस्यों को भी लाभ पहुंचाता है। यह मंत्र मानसिक विश्राम में मदद करता है और व्यक्ति के परिवार में शांति की भावना लाता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से वयस्कों और बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होता है। ऐसे मामले भी हैं जहां यह मंत्र अदालती मामलों और मुद्दों में सकारात्मक परिणाम लाने में सफल साबित हुआ है। संकट मोचन हनुमान अष्टक का जाप व्यक्ति और उसके प्रियजनों की सामान्य भलाई के लिए किया जाता है। इसके पाठ से  सभी बाधाएं आसानी से दूर हो जाती हैं और व्यक्ति को अपने पसंदीदा क्षेत्र में सफलता पाने में कोई बाधा नहीं आती। संकटमोचन हनुमान अष्टक का जाप व्यक्ति की शिक्षा में भी सफलता की गारंटी देता है और लोगों को उनकी इच्छा के अनुसार उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद करता है।

Dec 30, 2024

हनुमान चालीसा अर्थ सहित (Hanuman Chalisa with Meaning)


दोहा 

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

Shree Guru Charan Saroj Raj, Nij Man Mukar Sudhari,
Barnau Raghuvar Bimal Jasu, Jo dayaku Phal Chari

Budhi heen Tanu Janike, Sumirow, Pavan Kumar,
Bal Buddhi Vidya Dehu Mohi, Harahu Kalesh Bikaar

अर्थ

श्री गुरु के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।

हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कार दीजिए।

With the dust of Guru's Lotus feet, I clean the mirror of my mind and then narrate the sacred glory of Sri Ram Chandra, The Supereme among the Raghu dynasty. The giver of the four attainments of life.

Knowing myself to be ignorent, I urge you, O Hanuman, The son of Pavan! O Lord! kindly Bestow on me strength, wisdom and knowledge, removing all my miseries and blemishes.