Jan 6, 2025

शिव चालीसा (Shiva Chalisa)

शिव चालीसा (Shiva Chalisa)



।। दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥


अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ 
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥

मैना मातु की है दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ 
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ 
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ 
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ 
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ 
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ 
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला ॥ 
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ 
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ 
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी ॥ 
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ 
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई ॥ 
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं ॥ 
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ 
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ 
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई ॥

ऋनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी ॥ 
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ 
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ 
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ 
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥


॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। 
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥ 
मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत चौसठ जान। 
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥

#Shiva_Chalisa #Chalisa

No comments: