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May 23, 2025

ध्यान क्या है और यह क्यों जरूरी है? | Meditation in Hindi: लाभ, महत्व और वैज्ञानिक तथ्य

Life Mantra: ध्यान क्या है और यह क्यों जरूरी है? | Meditation i...



🧘‍♂️ ध्यान क्या है? (What is Meditation)

ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मन को एकाग्र करके उसे भीतर की ओर केंद्रित किया जाता है। यह केवल एक मानसिक व्यायाम नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति प्राप्त करने का शक्तिशाली साधन है।

🧠 ध्यान के वैज्ञानिक लाभ (Scientific Benefits of Meditation) जिसे आधुनिक विज्ञान भी ध्यान की शक्ति को मान्यता दे चुका है:

🧬 तनाव में कमी (Stress Reduction) – ध्यान से Cortisol हार्मोन कम होता है।

🧠 मस्तिष्क की संरचना में सुधार – ब्रेन MRI स्कैन में ग्रे मैटर बढ़ने के प्रमाण।

💤 नींद में सुधार – अनिद्रा की समस्या में ध्यान अत्यंत सहायक।


😌 चिंता और डिप्रेशन से राहत

🎯 एकाग्रता और निर्णय क्षमता में वृद्धि


🕉️ ध्यान का आध्यात्मिक महत्व (Spiritual Importance of Meditation)


भारतीय अध्यात्म में ध्यान को आत्मा की यात्रा कहा गया है: 

आत्मा का साक्षात्कार, चित्त की शुद्धि,  चक्र जागरण और कुंडलिनी शक्ति का विकास औरसमाधि की ओर ले जाने वाली सीढ़ी है। "ध्यान वह सेतु है जो शरीर से आत्मा और आत्मा से परमात्मा तक पहुँचाता है।"


🌍 ग्लोबल ट्रेंड बनता ध्यान (Why Meditation is a Global Trend)

  • Google, Apple जैसी कंपनियाँ ध्यान को ऑफिस में अपनाती हैं
  • Meditation ऐप्स – Headspace, Calm करोड़ों लोगों द्वारा डाउनलोड
  • International Yoga Day में ध्यान को प्रमुख स्थान
  • हॉलीवुड से लेकर आम भारतीय तक सभी ध्यान को अपना रहे हैं

✅ ध्यान कैसे करें? (How to Do Meditation – Beginners Guide)

  • एक शांत स्थान चुनें
  • पीठ सीधी करके बैठें
  • गहरी साँस लें और छोड़ें
  • किसी मंत्र पर ध्यान केंद्रित करें – "ॐ", "सोऽहम", ओम नमः शिवाय, जीसस, अल्लाह या आप जो भी समान्य जीवन में नाम लेते है।
  • प्रारंभ में 5–10 मिनट से शुरू करें
  • नियमित अभ्यास करें
📌 ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ समय
  • सुबह ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे)
  • शाम को सूर्यास्त के समय
  • ध्यान खाली पेट करें, भोजन के बाद नहीं
 ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाइए। आज के तनावपूर्ण जीवन में ध्यान केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए एक अनिवार्यता बन चुका है। ध्यान से न केवल तनाव दूर होता है, बल्कि आत्मा का साक्षात्कार भी संभव है।

"जो अपने भीतर नहीं झाँकता, वह बाहर की दुनिया में भी खोया रहता है।"


🔎 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1: ध्यान कितने समय तक करना चाहिए?
👉 शुरुआत में 5–10 मिनट और धीरे-धीरे 30 मिनट तक बढ़ाएँ।
Q2: क्या ध्यान से स्वास्थ्य सुधरता है?
👉 हाँ, ध्यान मानसिक ही नहीं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
Q3: क्या ध्यान के लिए किसी गुरु की आवश्यकता है?
👉 प्रारंभिक अभ्यास स्वयं कर सकते हैं, लेकिन गहराई में जाने के लिए गुरु मार्गदर्शक हो सकते हैं।


Mar 10, 2025

गीता योग - मोक्ष की प्राप्ति के लिए ध्यान और सेवा (Gita Yoga - Meditation and service to attain salvation)

मोक्ष की प्राप्ति के लिए ध्यान और सेवा का अभ्यास आवश्यक है। ध्यान हमें आत्मा की गहराइयों में ले जाता है, जहाँ हम अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानते हैं। यह एक साधना है, जो मन को एकाग्र करने और आत्मा के साथ जुड़ने में मदद करती है। जब हम ध्यान करते हैं, तो हम अपने भीतर की शांति और संतुलन को अनुभव करते हैं, जो मोक्ष की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

संसार में सुखपूर्वक जीवन यापन के लिए सेवा कार्य अनिवार्य है। सेवा का अर्थ है दूसरों की भलाई के लिए अपने समय, ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग करना। जब हम सेवा करते हैं, तो हम न केवल दूसरों की मदद करते हैं, बल्कि अपने भीतर भी एक गहरी संतोष और खुशी का अनुभव करते हैं। सेवा के माध्यम से हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सक्षम होते हैं, जो हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है।

Oct 2, 2021

ध्यान, ध्यान के विधि , ध्यान के लाभ एवं अनुभव

 ध्यान - अष्टांग योग का सातवां अंग हैं, शरीरस्थ मन को एक स्थान पर स्थिर कर ईश्वर के दर्शन हेतु निरंतर प्रयास करना, चिंतन करना तथा अन्य विषय विचारों से अलग रखना ध्यान कहलाता है। ध्यानावस्था में ज्ञान सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप में प्राप्त हो जाता है।

ध्यान से मानस्रिक स्रुख व शांति का अनुभव प्राप्त होकर सत्य असत्य, विवेक, नम्रता आदि का भाव जाग्रत होने लगता हैं।


ध्यान केसे करें?

"बाह्य तैयारी"
ध्यान के अनुरूप शांत, एकांत, स्वच्छ स्थान का चुनाव सर्वाधिक उत्तम रहता हैं। समय की निश्चिता को बनाये रखे| वस्त्र सुविधानुसार आरामदेह शीतल हो। आस्रन शारीरिक ऊर्जा को भूमि से अवरोधित करने वाला हो। निद्रा, विश्राम, शौच, स्नान आदि से निवृति पश्चात ही ध्यान करना सर्वोत्तम होता है|

"आंतरिक तैयारी"

ध्यान करने हेतु योगाभ्यासी को निम्नलिखित ४ बिंदुओं पर का अनुशरण नितांत आवश्यक है|

१. प्रत्येक कार्य ईश्वर को साक्षी मानकर पुण्य प्राप्त करने हेतु करें

२. ध्यान का समय नजदीक आने से पूर्व अपने सभी कार्य पूर्ण कर लेवें जिससे कोई विचार बाधा न बनें।

३. स्राधक निम्न संकल्प लेवें-
  •  मैं शरीर नही आत्मा हूँ।
  •  मेरा कोई सगा संबंधी नही है।
  •  अपने को 'मैं और मेरा' का त्याग की भावना को दूर रखें।
  •  ईश्वर सर्वव्यापक है और आत्मा एकदेशीया
  •  ईश्वर-प्राणिधान करते हुए ध्यान करना।
" प्रक्रिया"
  • आत्मोन्नति, आत्मोत्कर्ष, आत्मकल्याण, आत्मतृप्ति, आत्मसंतोष, आत्मनिर्भयता, आत्मस्वातंत्रय, आत्मानन्द, मोक्षानन्द, परमानन्द को प्राप्त करने का साधन ध्यान हैं।
  • स्थिर होकर सिद्धासन, पद्मासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन पर बैठें।
  • मेरुदंड को सीधा रखें। संपूर्ण शरीर को ढीला छोड़ देवें। दोनों हाथ ज्ञानमुद्रा में करें। मन को विचार शून्य बना लेवें। अब धीरे धीरे आँखे बंद करें।
  • अब शरीर के किसी एक प्रदेश में धारणा कर मन को स्थापित करें तथा संपूर्ण आत्मीक ऊर्जा को वहां स्थापित करें। विचक्र कीजिये मेर मन स्थिर है, मेरी आत्मा को अनुभव कर रहा है। संकल्प कीजिये की ईश्वर के अलावा मेरा कोई नही अब वही मेरा सब कुछ है।
  • अब गायत्रीमंत्र अर्थ सहित हृदय में जप कीजिये। अंत में अपनी गलतियों का पश्चाताप करें पुनरापि दोहराने से अलग हो। तथा प्रार्थना कीजिये हे प्रभु आप ही मेरे सर्वाधार है, मेरे परमानन्द के आधार हैं। ये जगत आप से ही चलायमान हैं , मेरा कल्याण करें।
ऐसी प्रार्थना करते जाइये जब तक हो सके नित्य प्रतिदिन ऐसा ही करें। ईष्वर ने चाहा तो अवस्य आपको ध्यान का आनंद प्राप्त होग

"ध्यान के लाभ"

ध्यान के अनेक दैवीय लाभ हैं-
1 .ध्यान से उच्च एकाग्रता प्राप्त होती है।
2. जिकन व विवेक का वृद्धि होती है।
3. सत्य-असत्य का बोध होता है।
4. बोद्धिक मानस्रिक शक्ति का विकास होता है
5.प्रभु दर्शन का मार्ग प्राप्त होता है।
6. काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ आदि से रहित होता है।
7. स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है।
8. तनाव, अवसाद से मुक्ति प्राप्त होती है।
ध्यान मनुष्य का सर्वोत्कृष्ट कार्य है|

"ध्यान के अनुभव"
  • ध्यान में साधक को आनंद की असीम अनुभुति के साथ साथ सत्यासत्य का अनुभव प्राप्त होता है। साथ ही शारीरिक मानसिक आत्मीक उन्नति होती है।
  • निरंतर प्रयास से व्यक्ति समाधी के निकट पहुँच जाता है व स्वयं को हल्का , प्रसन्न, स्वस्थ, निरोगी अनुभव करता है।
  • सिद्धियों को प्राप्त करने योग्य बनकर स्वयं में निरंतर परिवर्तन अनुभव करता है।
Source - ध्यानावस्था के अनुभव
लेखक: योगी सेवानगन्द स्रावनार्य