Mar 25, 2025

केदारनाथ यात्रा: आस्था, रहस्य और प्रकृति का दिव्य संगम

उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ मंदिर स्थित है, जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह मंदिर तीन ओर से केदारनाथ, खर्चकुंड और भरतकुंड पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसके अतिरिक्त, यहां मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी नामक पांच नदियों का संगम भी है, जिनमें से वर्तमान में केवल अलकनंदा और मंदाकिनी ही बह रही हैं। सर्दियों के मौसम में मंदिर पूरी तरह से बर्फ से ढक जाता है, इस दौरान इसके कपाट बंद कर दिए जाते हैं और बैशाखी के बाद इन्हें खोला जाता है।

केदारनाथ का इतिहास

हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से दो, केदारनाथ और बद्रीनाथ, उत्तराखंड राज्य में स्थित हैं। प्राचीन धार्मिक कथाओं के अनुसार, हिमालय के केदार पर्वत पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ने कठोर तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें दर्शन दिए। इसके साथ ही, नर और नारायण के अनुरोध पर भगवान शिव ने वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करने का आशीर्वाद भी प्रदान किया। इस प्रकार, केदारनाथ और बद्रीनाथ की धार्मिक महत्ता और उनके पीछे की पौराणिक कथाएँ हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती हैं।

मंदिर की बनावट

केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाता है। इस मंदिर की ऊंचाई 85 फुट, लंबाई 187 फुट और चौड़ाई 80 फुट है, जो इसकी भव्यता को दर्शाता है। इसे 6 फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर स्थापित किया गया है, जो इसे और भी प्रभावशाली बनाता है। यह माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। 

मंदिर को दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है: गर्भगृह और मंडप। यह मंदिर विशाल कटवां पत्थरों से निर्मित है, जो इसकी मजबूती और स्थिरता को दर्शाता है, और यह आज भी अपनी प्राचीनता को बनाए रखे हुए है। मंदिर के मुख्य द्वार पर नंदी बैल की एक भव्य मूर्ति स्थापित है, जो इस स्थान की धार्मिकता को और बढ़ाती है। इसके दीवारों पर पौराणिक कथाओं और चित्रों की सुंदरता को देखना एक अद्भुत अनुभव है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

मंदिर के खुलने और बंद होने का समय

केदारनाथ मंदिर प्रातः 4 बजे खुलता है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का आरंभ 6 बजे से होता है। विशेष पूजा के दौरान, मंदिर का द्वार दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक बंद रहता है। इस समय के दौरान, पंचमुखी भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद, 7.30 बजे से 8.30 बजे तक आरती का आयोजन किया जाता है। आरती के बाद, मंदिर 9 बजे बंद हो जाता है।

कपाट खुलने और बंद होने का समय

दीपावली के दूसरे दिन, मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया हर वर्ष की जाती है और इसके कपाट पूरे 6 महीने बाद, मई के महीने में खोले जाते हैं। इस बंदी के दौरान, केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को पहाड़ के नीचे स्थित ऊखीमठ स्थानांतरित किया जाता है। वहां, श्रद्धालुओं द्वारा नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे भक्तों की आस्था और श्रद्धा बनी रहती है। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करती है।

कैसे जाएं

हवाई मार्ग- जॉलीग्रांट एयरपोर्ट इस क्षेत्र का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। यहां से टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से आप आसानी से गौरी कुंड तक पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग- ऋषिकेश इस क्षेत्र का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, लेकिन आप हरिद्वार, काठगोदाम और कोटद्वार से भी केदारनाथ की यात्रा कर सकते हैं।

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