May 5, 2025

स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज की प्रवचनदिनांक 1 अगस्त 1995 सांय 5:00 बजे


परम श्रद्धेय स्वामी जी महाराज जी कह रहे हैं कि नाम की अपार महिमा है । कल भी मैंने कहा था कि गोस्वामी जी महाराज राम जी को अपना इष्ट मानते हैं । उनके लिए भी गोस्वामी जी कह देते हैं कि राम जी सरकार भी अपने नाम का गुणगान नहीं कर सकते । अर्थ क्या हुआ - हमारी सरकार भी नाम की महिमा कहने में असमर्थ है । कह भगवान् तो सब कुछ कर सकते हैं । फिर नाम की महिमा क्यों नहीं बता सकते ? तो यह उनकी कमजोरी नहीं है । यह उनकी महिमा ही है । अपने नाम की पूरी महिमा नहीं बता सकते, ये राम जी की महिमा ही है । राम जी ने एक अहिल्या का उद्धार किया जो कि ऋषि की पत्नी थी । उनके नाम ने करोड़ों खलों को, दुष्ट बुद्धि को सुधार दिया । तो नाम की महिमा है । नाम के होते हुए नरकों में जा रहे हैं । नाम सबके लिए सुलभ है । हिंदू हो, मुसलमान हो, ईसाई हो, पारसी हो कोई हो । नाम की महिमा हर समय है । नाम की महिमा कलियुग में विशेष है । चेतन्य महाप्रभु कहते हैं - भगवान् ने नाम में अपनी शक्ति रख दी । ध्यान देकर सुनें एक बात बताएं -
-

भगवान् ने मानव शरीर दिया केवल भगवान् की प्राप्ति के लिए ही यह मानव जन्म है । भोगों के लिए नहीं, संग्रह के लिए नहीं । उद्धार के लिए दिया । ’ *भजन नहीं किया । अंतकाल में नाम याद आ जाए तो अंत काल में कैसा ही पापी हो नाम से कल्याण’ ’हो जाता है* । कैसे हो जाता है ? ध्यान देकर सुनें । भगवान् ने कहा है -’ ’ *मैंने जीव को मानव जन्म दिया उद्धार के लिए और जीव ने मानव’ ’जीवन स्वीकार किया और अंतकाल आ गया, मर गया ।* ’ *’तो भगवान् कहते हैं मेरा मनुष्य जन्म देना और तेरा मनुष्य जन्म’ ’लेना फजीति हो रही है* । नर्क में जाने की तैयारी कर ली ।’ ’ *अभी भी मेरा नाम ले ले तो दोनों की इज्जत रह’ ’जाएगी ।* *नहीं दोनों की’ ’फजीति है’ । ’इस वास्ते अंत में नाम लेने की बड़ी महिमा है ।’*


’ *एक प्रार्थना करता हूं - किसी की भी मृत्यु हो रही है, भगवान् का नाम सुना दो ।’ ’कैसा ही पापी हो, अंत में भगवान् का नाम सुना दो ।’ ’* *कोई ज्यादा बीमार हो, नाम सुना दो ।’ ’कोलकाता में एक ऐसी सभा है । कोई ज्यादा बीमार हो,’* ’गोविंद भवन में सूचना दे दो । लोगों ने नाम लिखावाया हुआ है कि *अमुक’ ’समय में मैं जा सकता हूं । वह सूचना देते हैं’ । ’वह चला जाता है । नाम सुनाते हैं, सेवा करते हैं, घर वालों की भी सेवा करते’ ’हैं* और कुछ खाते पीते नहीं हैं । *बहनों - माताओं से कहना है कोई’ ’बीमार है, तो तो नाम सुना दे’ ।* ’ *एक को भी नाम सुना दिया तो इतना पुण्य होगा कि आपका जन्म सफल हो गया’ ।* किसी भी आदमी को आपने नाम सुना दिया तो जीवन सफल हो गया । ’ *यमराज ने कहा है - अंत समय में जहां नाम सुनाया जा रहा हो, वहां मत जाना । नहीं तो फजीति होगी’ ।* एक उदाहरण देकर समझा रहे हैं कि *जानवर को भी नाम सुनाओ ।* *मनुष्य को सुनाना तो विशेष है । ’* *एक लोगों को वहम है कि गीता सुनाने से मर जाएगा । गीता जहर नहीं’ ’है । आप को बुखार आवे तो लोगों से कहो गीता’ ’सुनाओ और आप नहीं मरोगे तो लोगों का वहम’ ’मिट जाएगा ।* *मैंने तो बुखार में नाम सुना है । गीता’ ’भी सुनता हूं । कलकत्ता में बुखार आया ‘’ ’एंटी मलेरिया’ कहते हैं उसको । वैद्य लोग बोले दवाई’ ’लेते हैं तो बच सकते हो । इंजेक्शन लेवो तो बच सकते हो । मैंने कहा मैं तो’ ’लेता नहीं । मेरे साथ में रहने वाले संत को कहा कि नाम सुनाओ और’ ’नाम सुनाया । नाम सुना मैं मरा नहीं । बीमारी में गीता सुनी बैठा हूं आपके’ ’सामने । वैद्यों ने कहा 48 घंटे हैं, 48 घंटा’ ( ’इसके बाद शरीर नहीं बचेगा)। 48 घंटा तो क्या 48’ ’से’ ’ज्यादा वर्ष हो गए,’ ’बैठा हूं’ । नाम सुनाने से आदमी नहीं मरता है* । वहम होता है नाम सुनाने से आदमी मर जाएगा । गीता सुनाने से मर जाएगा । आपके सामने बैठा हूं, नहीं मरा । इतना बीमार - उल्टी, पेशाब, दस्त तीनों साथ में थी । एक भूल की बात बताता हूं - ’ *मैंने देखा कि भगवान् में ध्यान लगाने से ही कल्याण’ ’होता है । भगवान् का नाम सुना रहे हैं, मैं अपने मन से चिंतन करूं फालतू ।’ ’नाम में मन लगाऊं ही नहीं । जान करके’ ’मन नहीं लगाया, तो भी मन को शांति मिली,’ ’प्रत्यक्ष में, ऐसी अवस्था में ।* एक माई थी’ ’कोलकाता में । जहां कोई मरणासन्न होता था, मैं जाता’ ’था । मेरे को बुलाते थे । *वह बेहोश थी । बोल’ ’सकती नहीं थी । नाम सुनाया, चेहरे पर प्रसन्नता’ ’देखी’ ।* कह नहीं सकती लेकिन प्रसन्नता मैंने देखी । ऐसे कईयों को नाम सुनाने का मौका पड़ा है । बहुत से भाई बहनों को कहा है नाम सुनाओ । *आपने अंत काल में एक आदमी को नाम सुना दिया आपका जन्म सफल हो गया ।* ’ *कोई हो पापी हो, पशु पक्षी हो, सबको नाम सुनाओ अंतकाल’ ’में’ । जीवन सफल हो जाएगा* । जीते हुए भी नाम सुनाओ तो अंतकाल में नाम याद आ जावे । उठते, बैठते, चलते, फिरते राम राम राम राम जपते रहो । एक भगवान् का नाम लेता था । एक ने कहा तू एक क्या जपता है । तेरे को भैरूं जी का मंत्र बताता हूं । तो वह भैरूं जी का मंत्र जपने लगा । तीर्थ यात्रा में गया, वहां भैरूंजी आए । तो सामने नहीं आए, तो बोला सामने क्यों नहीं आते ? तो भैरूंजी बोले तू ने भगवान् का नाम लिया है । इसलिए तेरे सामने नहीं आ सकता । भैरूं जी की ताकत नहीं है सामने आ सके । भूत, प्रेत की ताकत नहीं सामने आ जाए । *यमराज ने क्षमा मांगी है । जहां भगवान् का नाम हो । वहां मेरा राज्य नहीं है । ’विष्णु पुराण, काशी खंड में यह बात बात आती है’ ।* कई जगह बात आई है । तो हरदम राम-राम । ’श्री’ ’सेठ जी जय दयाल जी गोयंदका जी गीता प्रेस के संस्थापक, संचालक, संरक्षक’ की बात बता रहे हैं, कि एक आदमी को उन्होंने नाम में लगाया लेकिन भगवान् का नाम उसके मुख से निकला नहीं । तो पापी के मुख से नाम निकलता नहीं है । अपन नाम लेते हैं, यह भगवान् की विशेष कृपा है । ’गीता, रामायण, भागवत, सत्संग मिला तो समझो भगवान् की’ ’कृपा’ है । भागवत हो रही है, आगे रामायण होने वाली है । भगवान् का नाम लो । जोधपुर की घटना बता रहे हैं । ’मैंने लोगों को भगवन्नाम में लगाया तो पांच सात लोग आए - बोले आप’ ’लोगों को बेकार बना रहे हो । हम आप की खबर लेंगे । मैंने कहा ले लो । पर’ वो ’वापस आए नहीं ।’ वो नहीं जान सकते नाम की महिमा । दादू जी कहते हैं जैसा नाम कीमती है, वैसा नाम ले नहीं सका । जबकि उम्र भर नाम लिया उन्होंने । ऐसे नाम की महिमा जानने वाले नाम बहुत कम हैं । नाम मीठा है, पर लेने से पता चलता है । राम नाम लेते रहो । भगवान् शंकर जी राम राम राम राम करते हैं । भगवान् के नाम से आप में अलौकिता आ जाएगी । कल मैंने बताया था न, इस की अपार महिमा है । पता नहीं है लोगों को ।


नारायण ! नारायण !!नारायण !!! नारायण !!!!

No comments: